पर्व व त्योहार - गणेश चतुर्थी
देवता का नाम - श्री गणेश (गजानन , गणपति , विनायक , विघ्नहर्ता , मंगलकर्ता और भी इनके अनेकों नाम हैं।)
सारे देवताओं में - प्रथम पूज्य हैं ये श्री गणेश जिनकी पूजा जिनका आह्वान सबसे पहले हर पूजा में किया जाता है अगर किसी भी पूजा में इनका आह्वान या इनकी पूजा प्रथम न की जाए तो इनका अपमान होता है और वो पूजा सफल नहीं जाती।
जन्म - भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को हुआ (चंद्रमा के उदय होने पर उत्पन्न हुए)
पुत्र - जगतमाता पार्वती और जगतपिता महादेव के
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है। ये त्यौहार भारत के विभिन्न जगहों पर मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में इसे धूम धाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस प्रतिमा को 9 दिन तक पूजा जाता है और दसवें दिन बड़ी संख्या में आस- पास के लोग दर्शन करने पहुंचते हैं और गाजे बाजे के साथ गणेश प्रतिमा को किसी तालाब इत्यादि जल में विसर्जित किया जाता है।
(विसर्जन दशमी की अनन्त चतुर्दशी के दिन करते हैं)।
गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है?-
श्रृष्टि के आरम्भ में यह प्रश्न उठा कि परम और प्रथम पूज्य किसे माना जाए तो देवता भगवान शिव के पास गए। तब भगवान शिव जी ने सभी देवताओं से कहा कि सम्पूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा यानी तीनों लोकों की परिक्रमा जो सबसे पहले करके आएगा उसे ही प्रथम पूज्य माना जायेगा। सभी देवता ये जानने के बाद अपने - अपने वाहन पर बैठकर तीनों लोकों की परिक्रमा करने निकल पड़े। लेकिन गणेश भगवान का वाहन चूहा है और उनका शरीर भारी है तो भगवान गणेश परिक्रमा कैसे कर पाते तब उन्होंने अपनी बुद्धि और चतुराई से अपने माता पिता (माता पार्वती और पिता शिव) की तीन परिक्रमा पूरी की और हाथ जोड़ कर उनके सामने खड़े हो गए ये देख माता पार्वती और भगवान शिव बहोत प्रसन्न हुए तब भगवान शिव ने कहा कि तुमसे बड़ा और बुद्धिमान इस पूरे संसार में कोई नहीं है। माता पिता की तीन परिक्रमा पूरी कर तुमने तीनों लोकों की परिक्रमा पूरी कर ली है और इसका पुण्य तुम्हे मिल गया है। इसलिए अब से कोई भी मनुष्य किसी भी प्रकार का कार्य करने से पहले तुम्हारा पूजन करेगा उसे किसी भी प्रकार की कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। बस तभी से भगवान गणेश प्रथम पूज्य हो गए। इनकी पूजा सभी देवी और देवताओं से पहले की जाने लगी और तबसे भगवान गणेश की पूजा के बाद ही बाकी सभी देवी देवताओं की पूजा की जाती है।
गणेश उत्सव कैसे और कबसे मनाया जाता है? -
यह उत्सव वैसे तो कई वर्षों से मनाया जा रहा है लेकिन सन 1893 से पूर्व यह केवल घरों तक ही सीमित था। उस समय सामूहिक उत्सव नही मनाया जाता था और न ही बड़े पैमानों पर पंडालों में इस तरह मनाया जाता था। सन 1893 में बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजों के विरुद्ध एक जुट करने के लिए एक बड़े पैमाने पर इस उत्सव का आयोजन किया जिसमें बड़े पैमाने पर लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और इस प्रकार पूरे राष्ट्र में गणेश चतुर्थी मनाई जाने लगी। बाल गंगाधर तिलक ने ये आयोजन महाराष्ट्र में किया था इसलिए तबसे यह पर्व पूरे महाराष्ट्र में बढ़ चढ़कर मनाया जाने लगा। बाल गंगाधर तिलक उस समय स्वराज्य में संघर्ष कर रहे थे और उन्हें एक ऐसा मंच चाहिए था जिसके माध्यम से उनकी आवाज अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे और तब उन्होंने गणपति उत्सव का चयन किया और उससे एक भव्य रूप दिया। जिसकी छवि देखने को आज तक पूरे महाराष्ट्र में मिलती है।
गणेश उत्सव 10 दिनों तक क्यों मनाते हैं? -
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब वेदव्यास जी ने महाभारत की कथा भगवान गणेश जी को 10 दिन तक सुनाई थी तब उन्होंने नेत्र बंद कर लिए थे। और जब 10 दिन बाद आंखें खोली तो पाया की गणेश जी का तापमान बहुत अधिक हो गया है। फिर उसी समय वेदव्यास जी ने निकट स्थित कुंड में भगवान गणेश को स्नान करवाया जिससे उनके शरीर का तापमान कम हो गया था।
इसलिए गणपति स्थापना के 10 दिन तक गणेश जी की पूजा की जाती है। और फिर जो उनकी प्रतिमा होती है उनका विसर्जन कर दिया जाता है।