रावण एक प्रकांड पंडित | Devil Ravan

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रावण अपने युग का प्रकांड पंडित ही नहीं, वैज्ञानिक भी था / Interesting facts रोचक तथ्य


पंडित ही नहीं, वैज्ञानिक भी था रावण / Interesting facts रोचक तथ्य


       रावण अपने युग का प्रकांड पंडित ही नहीं, वैज्ञानिक भी था। आयुर्वेद, तंत्र और ज्योतिष के क्षेत्र में उनका योगदान महत्त्वपूर्ण है। इंद्रजाल जैसी अथर्ववेदमूलक विद्या का रावण ने ही अनुसंधान किया था। उनके पास सुषेण जैसे वैद्य थे, जो देश-विदेश में पाई जाने वाली जीवन रक्षक औषधियों की जानकारी स्थान, गुण-धर्म आदि के अनुसार जानते थे। रावण की आज्ञा से ही सुषेण वैद्य ने मूर्छित लक्ष्मण की जान बचाई थी। रावण के बारे में वाल्मीकि रामायण के अलावा पद्मपुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, कूर्म पुराण महाभारत, आनंद रामायण, दशावतार चरित आदि हिंदू ग्रंथों के अलावा जैन ग्रंथों में भी उल्लेख मिलता है। 


       शिव का परम भक्त, यम और सूर्य तक को अपना प्रताप झेलने के लिए विवश कर देने वाला, प्रकांड विद्वान रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ- साथ बहु-विद्याओं के जानकार थे। उन्हें मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानते था। यह भी उल्लेख मिलता है और कहा जाता है कि रावण ने कई शास्त्रों की रचना की थी। चिकित्सा और तंत्र के क्षेत्र में रावण ने दस शतकात्मक अर्कप्रकाश, दस पटलात्मक उड्डीशतंत्र, कुमारतंत्र और नाड़ी परीक्षा ग्रंथ लिखे थे। 


चिकित्सा और तंत्र के क्षेत्र में रावण के चर्चित ग्रंथ -

  1. दस पटलात्मक उड्डीशतंत्र
  2. नाड़ी परीक्षा
  3. कुमारतंत्र
  4. दस शतकात्मक अर्कप्रकाश

       रावण के ये चारों ग्रंथ अद्भुत जानकारी से भरे हैं। रावण ने अंगूठे के मूल में चलने वाली धमनी को जीवन नाड़ी बताया है, जो सर्वांग- स्थिति व सुख-दुःख को बताती है। रावण के अनुसार औरतों में वाम हाथ एवं पांव तथा पुरुषों में दक्षिण हाथ एवं पांव की नाड़ियों का परीक्षण करना चाहिए।


       रावण को जन सामान्य में राक्षस माना जाता है। जबकि कुल, जाति और वंश से रावण राक्षस नहीं था। रावण केवल सुरों (देवताओं) के विरुद्ध और असुरों के पक्ष में था । रावण ने आर्यों की भोग-विलास वाली 'यक्ष' संस्कृति से अलग सभी की रक्षा करने के लिए 'रक्ष' संस्कृति की स्थापना की थी। इस संस्कृति अनुगामी असुरों को ही राक्षस कहा गया। जैन ग्रंथों में रावण को प्रतिवासुदेव माना गया है।






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