घरेलू हिंसा | Domestic violence

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 घरेलू हिंसा

(Domestic violence) 

 

 घरेलू हिंसा का शाब्दिक अर्थ होता है:- घर में होने वाली हिंसा।


घरेलू हिंसा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए बैंगनी रिबन का उपयोग किया जाता है।
घरेलू हिंसा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए बैंगनी रिबन का उपयोग किया जाता है।



दुनिया भर में, घरेलू हिंसा की शिकार सबसे ज्यादा महिलाएं ही होती है। महिलाओं को हिंसा के अधिक गंभीर रूपों का सामना करना पड़ता है। WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन, World Health Organization) के अनुमान के मुताबिक दुनिया भर की सभी महिलाओं की एक तिहाई महिलाएँ किसी न किसी समय घरेलू हिंसा का शिकार होती आ रही है। 

घरेलू हिंसा का शिकार न केवल महिलाएँ बल्कि बच्चे, बड़े-बूढ़े कोई भी हो सकता है। यहाँ तक कि पुरुष भी घरेलू हिंसा जैसे दुर्व्यवहार का शिकार हो जाते हैं। आइए जानते है, दोस्तों! कि घरेलू हिंसा जैसे दुर्व्यवहार होते क्या है, और क्यों होते है? इसके कारण क्या है? और साथ ही  इसके प्रभाव, प्रकार व रोकने/समाधान के उपायों को भी जानेंगे। 


घरेलू हिंसा क्या है? 


घरेलू हिंसा अर्थात ऐसी कोई भी हिंसा जो किसी महिला या किसी भी व्यक्ति के साथ होती है। घर की चार दिवारी के अंदर जो प्रतिदिन लड़ाई झगड़े होते हैं, वही है घरेलू हिंसा। इस प्रकार की घरेलू हिंसा ज्यादातर घर की महिलाओ, मां, बेटिओ और बच्चों के साथ होती हैं।घरेलू हिंसा ना केवल पुरुषों द्वारा होती है बल्कि महिला के द्वारा भी होती है। कहने का मतलब इतना है कि कमजोर पर किया गया कोई भी प्रहार चाहे वो बोल कर या शारीरिक नुकसान पहुंचाकर हो, वो स्त्री द्वारा हो या पुरुष द्वारा, वो घरेलू हिंसा की श्रेणी में आता है।

इसमें हम निम्न प्रकार के अवयव सम्मिलित कर सकते हैं:-

  • शारीरिक (मार-पीट, थप्पड़ मारना, डाँटना, दाँत काटना, ठोकर मारना, अंग को नुक्सान पहुंचाने संबंधी, स्वास्थ्य को हानि)। 
  • मानसिक (चरित्र, आचरण पर दोष, अपमानित, लड़का न होने पर प्रताड़ित, नौकरी छोड़ने या करने के लिए दबाव, आत्महत्या का डर देना, घर से बाहर निकाल देना)। 
  • शाब्दिक या भावनात्मक (गाली-गलोच, अपमानित)। 
  • लैंगिक (बलात्कार, जबरदस्ती संबंध बनाना, अश्लील सामग्री या साहित्य देखने को मजबूर करना, अपमानित लैंगिक व्यवहार, बालकों के साथ लैंगिक दुर्व्यवहार)। 
  • आर्थिक (दहेज़ की मांग, महंगी वस्तु की मांग, सम्पति की मांग, आपको या आपके बच्चे के खर्च के लिए आर्थिक सहायता न देना, रोजगार न करने देना या मुश्किल पैदा करना, आय-वेतन आपसे ले लेना, संपत्ति से बेदखल करना)। 
  • यौन शोषण बल या जबरदस्ती के माध्यम से अवांछित यौन गतिविधि है। यौन गतिविधि को दुर्व्यवहार माना जाने के लिए अपराधियों और पीड़ितों का अजनबी होना ज़रूरी नहीं है।

घरेलू हिंसा से कोई भी प्रभावित हो सकता है, चाहे उसकी जाति, आयु, जातियता, लैंगिक रुझान, लिंग पहचान या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।


घरेलू हिंसा जैसे दुर्व्यवहार आखिर होते क्यों हैं? 

हिंसा और दुर्व्यवहार किसी अन्य व्यक्ति पर शक्ति (बल, ताकत), नियंत्रण बनाए रखने के लिए किया जाता है। घरेलू हिंसा जैसे दुर्व्यवहार, अपराध, अक्सर पीड़ित और दुर्व्यवहार करने वाले के बीच की शक्ति (बल) के असंतुलन को दर्शाता है। घरेलू हिंसा जैसे दुर्व्यवहार, अपनी शक्ति का प्रदर्शन दूसरो पर करना मात्र एक विकल्प है, जिसे रोका जा सकता है। 



घरेलू हिंसा के कारण

  • घरेलू हिंसा का दहेज भी एक प्रमुख कारण है। मतलब बहुत से लोगो को लड़की जो दहेज लेकर आती है, उससे संतुष्टि नहीं होती, जिससे घरेलू हिंसा शुरू होती है।
  • बांझपन के कारण ससुराल वालो का महिलाओ के साथ अत्याचार करना भी घरेलू हिंसा का कारण है।
  • ग्रामीण क्षेत्रो में बच्चो को स्कूल ना जाने देना, जबरदस्ती उनसे खेत के काम करवाना और उन्हें घर पर रहने के लिए मजबूर करना घरेलू हिंसा हैग्रामीण क्षेत्रो में बच्चो को स्कूल ना जाने देना, जबरदस्ती उनसे खेत के काम करवाना और उन्हें घर पर रहने के लिए मजबूर करना घरेलू हिंसा है। 
  • अत्यधिक शराब का सेवन भी घरेलू हिंसा का कारण बनता है। 
  • बच्चो के साथ घरेलू हिंसा के कारणों में माता-पिता की सलाह और आदेशों की अवहेलना और पढ़ाई में खराब प्रदर्शन करना भी एक कारण हो सकता है।
  • आजकल के माहौल में लोग अपने वृद्ध माता-पिता को घर में नहीं देख सकते, उनके खर्चों पर बहस करते हैं। माता-पिता को भावनात्मक और शारीरिक पीड़ा भी देते हैं, उनसे एक प्रकार से छुटकारा पाना चाहते हैं और घरेलू हिंसा करते है।
  • एक बहुत ही सामान्य घरेलू हिंसा का कारण सम्पत्ति हथियाने के लिए माता-पिता या अपने घर के बड़े लोगो को जिनके नाम से सम्पत्ति हो उन्हें परेशान करना है।


घरेलू हिंसा के प्रभाव

  • यदि कोई व्यक्ति घरेलू हिंसा का शिकार होता है, तो उसके मन मे एक नकारात्मक सोच बन जाती है, जिससे उसे निकलना कठिन हो जाता है।
  • घरेलू हिंसा का शिकार व्यक्ति कई बार अपना मानसिक संतुलन तक खो बैठता है।
  • घरेलू हिंसा का सबसे अधिक व्यापक प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। जिन बच्चों के साथ घरेलू हिंसा हुई है, उनकी सीखने, संज्ञानात्मक क्षमता, भावनात्मक पावर और समझने की क्षमता कम हो जाती है।
  • घरेलू हिंसा से शिकार बालक गुस्सैल हो जाते हैं और किसी से सही तरीके से बात नहीं करते और किसी का भी सम्मान नहीं करते। इसके विपरित इस घरेलू हिंसा की शिकार हुई लडकियां दब्बू, डरपोक और आत्मविश्वास से कमजोर हो जाती हैं।

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घरेलू हिंसा के प्रकार


1. शारीरिक उत्पीड़न:- महिला के शरीर को चोट पहुंचाना जैसे मारना, पीटना आदि। कोई भी ऐसा कार्य जो महिला के स्वास्थ्य को प्रभावित करता हो जैसे पेट भर खाना न देना, बीमारी में सही इलाज न करना आदि। ये सब शारीरिक उत्पीड़न के अन्तर्गत आते हैं। 

2. यौन उत्पीड़न:- यौन उत्पीड़न के अन्तर्गत किसी भी महिला के साथ बदसलूकी करना जैसे- बलात्कार या बलात्कार करने का प्रयास करना, जबरन यौन संपर्क, जबरन शादी या बाल विवाह, दर्दनाक यौन क्रिया के लिए मजबूर करना और यौन संबंधों से वंचित करना आदि आता हैं।  

3. भावात्मक उत्पीड़न:- किसी महिला के साथ किसी भी कारण से गाली-गलौज करना, उसे प्रताड़ित करना, अकेला रखना और शक करना, संतान न होने या केवल लड़कियों को जन्म देने के लिए गाली देना और अपमान करना, किसी महिला या उसके रिश्तेदार को दहेज या कोई अन्य महंगी वस्तु प्राप्त करने के लिए प्रताड़ित करना, तंग करना, महिला के हर काम में दोष निकालना आदि भावात्मक उत्पीड़न के अन्तर्गत आता हैं। 

3. आर्थिक उत्पीड़न:- किसी महिला को साझा घरेलू सामान जैसे पंखे, रेडियो, अलमारी आदि का उपयोग करने से रोकना, महिला को धन या संपत्ति से हटाना, छीनना या दूर करने का प्रयास करना आदि आर्थिक उत्पीड़न के अन्तर्गत आता हैं। 


घरेलू हिंसा के रोकथाम या समाधान


घरेलू हिंसा को रोकने या कम करने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाई जा रही हैं। यदि आप या आपका कोई परिचित घरेलू हिंसा की स्थिति में है, तो मदद लेना महत्वपूर्ण है। किसी विश्वसनीय मित्र या परिवार के सदस्य से बताएं या घरेलू हिंसा हॉटलाइन पर कॉल करें। इसके बारे में जागरूकता बढ़ाकर और लोगों को शिक्षित करके घरेलू हिंसा को रोका जा सकता है।

भारत मे घरेलू हिंसा खत्म करने के लिए तीन महत्वपूर्ण कानून हैं:-

1.भारतीय दंड सहिंता की धारा 498A

2. दहेज निषेद अधिनियम 1961

3. घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 से महिलाओं का संरक्षण


 
दोस्तों! हम सभी जानते हैं कि किसी भी प्रकार की हिंसा सही नहीं होती है। वो घर जहां अपने लोगो के साथ हर व्यक्ति हर परिस्थिति में सुकून की जिंदगी जीना चाहता है, वह लालच वश आज अपनो के साथ घरेलू हिंसा में लिप्त है। जीवन में यदि हमें सुकून, आराम और शांति से जीना है, तो सबसे पहले लालच, गुस्सा, अकड़ ओर घमंड जैसी गलत बातो को दूर करना होगा। क्योंकि कुछ समय बाद अच्छे पल गुजर जाते हैं और फिर हम बाद में पछताते हैं। इसलिए जीवन मे अपनो को हंसाइये ओर खुद भी हसंते रहिए, ताकि घरेलू हिंसा जैसे कानून की कोई जरूरत ही न पड़े और इसका अंत हो जाए। 


धन्यवाद🙏💕 ✨







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