भारत का पहला सूर्य मिशन - आदित्य एल-1 (India's first Solar mission - Aditya L-1)
ISRO का Aditya L1 सौर मिशन-
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर ब्रह्माण्ड पर ध्यान केन्द्रित किया है। इस बार महत्वाकांक्षी आदित्य - एल 1 मिशन के साथ, जिसका उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है।
भारत के चाँद मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब इसरो ने अपना सौर मिशन आदित्य L1 लांच किया है।
क्या है आदित्य L1 ?
आदित्य एल 1 सूर्य का अध्ययन करने वाला मिशन है। इसके साथ ही इसरो ने इसे पहला अंतरिक्ष वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन कहा है। अंतरिक्ष यान को सूर्य - पृथ्वी प्रणाली के लैंग्रेजियन बिंदु 1 (एल 1) के चारों और एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है।
आदित्य एल 1 कब लॉन्च किया गया ?
👉 आदित्य एल 1 को 2 सितंबर 2023 को ISRO के द्वारा श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया।
👉 आदित्य एल 1 को लैंग्रेज प्वाइंट 1 (एल 1) तक पहुँचने में 125 दिन का समय लगेगा।
क्या है लैंग्रेज पॉइंट ?
👉 लैंग्रेज पॉइंट अंतरिक्ष में स्थित वह स्थान है। जहाँ सूर्य और पृथ्वी दोनों पिंडों का गुरुत्वाकर्षण संतुलन स्थिति में होता है।
👉 गुरुत्वाकर्षण संतुलन की वजह से यह विभिन्न वैज्ञानिक अवलोकनों और अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बन जाता है।
ISRO ने अपना सौर मिशन लैंग्रेज पॉइंट पर ही क्यों भेजा है?
लैंग्रेज पॉइंट पर पृथ्वी के वायुमंडल या दिन-रात के चक्र से प्रभावित हुए बिना सूर्य या ब्रह्माण्ड का निरंतर दृश्य देखने के लिए सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला को एल 1 के पास स्थित किया गया है।
आदित्य एल 1 को भेजने के उद्देश्य -
👉 सूर्य के आसपास के वायुमंडल का अध्ययन करना।
👉 क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग की स्टडी करना, फ्लेयर्स पर रिसर्च करना।
👉 सौर कोरोना की भौतिकी और इसका तापमान को मापना
👉 कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान करना, इसमें तापमान, वेग और घनत्व की जानकारी निकालना।
👉 सूर्य के आसपास हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता को जांचना।
किन देशों ने शुरू किया है सौर मिशन -
👉 भारत - इसरो - 2023 - आदित्य L1
👉 अमेरिका - नासा - 2018 - पार्कर सोलर प्रोब
👉 जापान – जाक्सा – 1981 - हिनोटोरी
👉 यूरोप – ईएसए – 1990 – यूलिसिस
👉 चीन - सीएएस - 2022 - एएसओ - एस
आदित्य- एल के 7 पैलोड्स-
आदित्य-एल1 पर ऑन-बोर्ड कुल सात पेलोड हैं. इनमें से चार रिमोट सेंसिंग पेलोड्स हैं और तीन इन-सिटु पेलोड्स हैं-
रिमोट सेंसिंग पेलोड्स
1- विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) : कोरोना/इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी
2- सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) : प्रकाशमंडल और क्रोमोस्फीयर इमेजिंग - नैरो और ब्रॉड बैंड
3- सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS) : सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर
4- हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS) : हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर
इन-सिटू पेलोड्स
5- आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX)
6- प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA)
7- एडवांस्ड ट्राई-एक्सल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नोमीटर्स
श्रीहरिकोटा से ही क्यों सैटेलाइट लॉन्च करता है इसरो(ISRO)
👉 इक्वेटर से करीबी यहां की खासियत है। ज्यादातर सैटेलाइट्स पृथ्वी की परिक्रमा इक्वेटर के पास ही करते हैं।
👉 ऐसे में यहां से लॉन्चिंग करने पर मिशन की लागत भी कम आती है। और सक्सेस रेट भी ज्यादा होता है।
👉 श्रीहरिकोटा आंध्र प्रदेश से जुड़ा एक द्वीप है, जिसके दोनों ओर समुद्र है। ऐसे में लॉन्चिंग के बाद किसी रॉकेट के अवशेष सीधे समुद्र में गिरते हैं।
👉 इसके अलावा अगर मिशन को किसी तरह का खतरा होता है तो उसे समुद्र की ओर मोड़कर जनहानि से बचा जा सकता है।