घर की लक्ष्मी बिन माँ की पली बेटी
भीगी पलकों के साथ विदा हो गई
एक लड़की मायके से...
बिन मां के पली बेटी पहुंच गई ससुराल
अपनी सास में उसको मां दिखाई दी...
उसने दिल में ठान लिया
अब से रखूंगी मैं हमेशा मां का ख्याल...
होने वाला था उसका बुरे से बुरा हाल...
अगले दिन जरा सी गलती पर
सास ने ताने देने शुरू कर दिए...
पति ने भी गुस्से में आकर थप्पड़ जड़
किया आग में घी वाला काम...
कमरे में चली गई वो रोती हुई बेचारी
ख्वाब जो देखे थे उसने टूटने की थी अब उनकी बारी...
साबित करके रहूंगी सास को
नौकरानी नहीं घर की लक्ष्मी आई है...
अभी तक मैंने हिम्मत नहीं है हारी
पिता के लिए संस्कारों के सहारे चल पड़ी...
अंधेरे की गलियों में
बुरे से बुरा सलूक किया उसके साथ...
जकड़ा उसके पैरों को कई सारे नियमों की बेडियो से
कर्मों का फल इसी जिंदगी में मिलता है...
दूसरों को तकलीफ देने वाला इंसान
खुद अच्छी जिंदगी कैसे जी सकता है...
बीमारी लग गई सास को
दूर गया उसे खुद का परिवार...
सेवा दिल से की उस बिन माँ की पली बेटी ने
सास को भी पता चल गया यही है घर की लक्ष्मी...
लेकिन बहुत देर से हुआ सास को
अपनी गलती का एहसास...
अब तो चंद लम्हों की ही
बची थी उसकी जिंदगी की सास...
बेटी हो या बहु हमेशा उनका सम्मान करे।
Be it daughter or daughter-in-law, always respect them.
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