रंगों की शक्ति और नवरात्रि की भक्ति | Happy Navratri

0

🙏रंगों की शक्ति और नवरात्रि की भक्ति🙏



रंग सिर्फ जीवन में ही नहीं, धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। धार्मिक मान्यतानुसार, विभिन्न देवी-देवताओं के भी पसंदीदा रंग होते हैं। माता रानी की कृपा आप पर बरसती रहे, इसके लिए नवरात्र के हर दिन मां की पसंद के रंग के वस्त्र धारण कर पूजन करना चाहिए।

       रंगों का हमारे देवी-देवताओं, पर्वों और त्योहारों से भी विशेष जुड़ाव है। हर रंग किसी न किसी देवी या देवता को प्रिय होता है। ऐसे में नवरात्र पर्व में भी प्रत्येक दिन किस रंग के कपड़े धारण करने चाहिए, इसे ध्यान में रखकर आप माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त कर सकती हैं। नवरात्र में हर दिन अलग-अलग रंगों के कपड़े पहनने से में घर सुख-समृद्धि आती है। नवरात्र के नौ दिनों में नौ रंगों के कपड़े पहनने और मां की पूजा करने का खास महत्व है। नवरात्र के नौ दिन काले कपड़े पहनना वर्जित होता है। इन्हें धारण करने से पूजा निष्फल हो जाती है और अशुभ फल मिलता है। नवरात्र का पहला दिन प्रतिपदा का दिन कहलाता है। इस दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम हैं। भक्तों को माता शैलपुत्री को भूरे रंग की साड़ी पहनाकर श्रृंगार करना चाहिए। इसके अलावा भक्तों को भी इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनकर भक्ति में लीन होना चाहिए। पूजा के दौरान और पूजा के बाद भी इस रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का मतलब होता है आचरण, यानी ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। भक्तों को दूसरे दिन माता का नारंगी रंग से श्रृंगार करना चाहिए, वहीं भक्ति में डूबे भक्तों को हरे रंग की पोशाक पहनना चाहिए। नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे रूप माता चंद्रघंटा का पूजन होता है। माता चंद्रघंटा को श्वेत रंग की पोशाक धारण कराएं। वहीं भक्त अगर इस दिन भूरे रंग के कपड़े पहनते हैं, तो देवी मां को अधिक प्रसन्नता होती है। नवरात्र के चौथे दिन दुर्गा मां के चौथे रूप माता कूष्मांडा की आराधना की जाती है। ये दिन बहुत पवित्र होता है। भक्त पूरी निष्ठा और मन से देवी की पूजा करते हैं। भक्तों को लाल रंग की पोशाक में माता कूष्मांडा का शृंगार करना चाहिए। वहीं भक्तों को खुद नारंगी रंग के कपड़े पहनकर माता का आशीर्वाद लेना चाहिए। नवरात्र के पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है। दुर्गा मां का पांचवा रूप स्कंदमाता मोक्ष के दरवाजे खोलने वाली और सुख देने वाली हैं। श्रद्धा भाव से पूजा करने वालों की सारी इच्छाएं पूरी होती है। इस दिन देवी मां का नीले रंग की पोशाक में श्रृंगार करना चाहिए। वहीं भक्तों के लिए सफेद रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। दुर्गा मां का छठा रूप माता कात्यायनी है। भक्तों को इस दिन माता कात्यायनी का पीले रंग से श्रृंगार करना चाहिए। इस दिन भक्तों को लाल रंग के कपड़े पहनना चाहिए। नवरात्र के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है। माता कालरात्रि के शरीर का रंग श्याम है, सिर के बाल बिखरे, गले में माला और तीन आंखें होती हैं। भक्तों को सप्तमी के दिन नीले रंग के कपड़े पहनना चाहिए। अष्टमी को महागौरी की पूजा की जाती है। कई भक्त इस दिन तक ही व्रत रखते हैं। माता महागौरी का मोरपंखी रंग से श्रृंगार करना चाहिए। इस दिन भक्तों के लिए गुलाबी रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री भक्त को सिद्धि का आशीर्वाद देती हैं। भक्तों के लिए इस दिन जामुनी रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।

विसर्जन



      नौ दिन तक हम देवी की पूरी निष्ठा और हर्षोल्लास से पूजा करते हैं तथा नवरात्र के बाद भावभीनी विदाई के साथ उनका विसर्जन कर दिया जाता है। विसर्जन का संस्कृत में अर्थ है- विदा करना या पानी में विलीन कर देना। विसर्जन के पीछे अनेक कारण है। पौराणिक तथ्यों के अनुसार माँ नौ दिन अपने मायके में रहने आती हैं। नवें दिन इन्हें मायके से ससुराल विदा कर दिया जाता है। अन्य मान्यतानुसार, महाशक्ति (महादेवी) योग निद्रा की यह मूर्तियां भगवान विष्णु (जल तत्व) से अलग होकर नहीं रह सकती, अतः इन्हें जल में विसर्जित करना भक्तों का परम कर्तव्य माना जाता है। तीसरी मान्यतानुसार, मां दुर्गा का महिषासुर के साथ नौ दिन तक युद्ध चला था, अंत में वह महिषासुर का वध कर महिषासुरमर्दिनी कहलाई। तभी से हर्षोल्लास के साथ नवदुर्गा का पूजन किया जाता है। चूंकि इन दिनों पूजा के नियम और विधान बड़े कड़े होते हैं और पूरे साल उनका पालन नहीं किया जा सकता है, अतः नवरात्र के बाद मूर्ति/ज्वारे विसर्जन की प्रथा है। अष्टमी/नवमी के दिन कन्या पूजन के बाद हाथ में चावल के दाने और फूल लेकर संकल्प लें तथा मां को प्रणाम करते हुए कहें कि मां आप हमारे यहां पधारी, आपका बड़ा अनुग्रह है। हमारे ऊपर अपनी कृपा बनाए रखना तथा अगले वर्ष पुनः आना। इसके पश्चात घट पर स्थापित नारियल को प्रसाद स्वरूप सभी को बांट देना चाहिए । घट का जल सारे घर में छिड़क देना चाहिए। सुपारी को भी प्रसाद के रूप में वितरित कर दें। घट पर रखे सिक्के को तिजोरी या गुल्लक में रख लें, इससे सारे वर्ष लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। चौकी या सिंहासन को वापस मंदिर में रख दें। मां को अर्पित साड़ी प्रसाद स्वरूप ग्रहण कर लें तथा जेवर को संभाल कर रख दें। गणेश प्रतिमा को पुनः मंदिर में स्थापित कर दें। चढ़ावे की मिठाई को प्रसाद के रूप में बांट दें। पूजा स्थल पर बिखरे चावल अथवा भोग को पक्षियों को डाल दें। मां दुर्गा की प्रतिमा, तस्वीर, जौ तथा पूजा सामग्री को जल में प्रवाहित कर दें। पश्चिम बंगाल में षष्ठी से लेकर दशमी तक पूजा की जाती है। प्रतिमा को षष्ठी को स्थापित किया जाता है, इस समय उनका चेहरा ढका रहता है। बोधन के बाद षष्ठी को शाम को चेहरा खोला जाता है। दुर्गा पूजा के पश्चात दशमी को मां को विदाई दी जाती है। हमारे यहां जिस प्रकार लड़की की शादी के समय रात को विदाई नहीं करते, अगले दिन कन्या को सिंदूर/सुहाग चढ़ाया जाता है, उसी प्रकार मां अष्टभुजा को भी दशमी को सिंदूर चढ़ाया जाता है। इसे सिंदूर खेला कहा जाता है। सभी मां को सिंदूर लगाने के बाद एक-दूसरे को सिंदूर लगाते हैं। कई लोग मां के पैर से सिंदूर लेकर पोटली में भी रख लेते हैं। मां दुर्गा के पैरों से सिक्का स्पर्श कर भी अपने पास रख लेते हैं। मां दुर्गा के विसर्जन के समय हर बंगाली पूजा खत्म होने के बाद दोबारा आने की प्रार्थना करने लगते हैं। घाट से लौटकर लोग फिर से पंडाल में मिलते हैं। शांति जल मिलता है। शाम को सभी छोटे बड़ों के पैर छूते हैं, प्रणाम करते हैं तथा बच्चों को आशीर्वाद और पैसे मिलते हैं। विसर्जन के बाद सभी मां के पुनः आगमन की प्रार्थना करते हैं। किसान अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं। सुहागिनें सदा सुहागन रहने की प्रार्थना करती हैं। भक्त परिवार-कुटुम्ब की खुशहाली की प्रार्थना करते हैं, ज्यादातर व्यक्ति अपने व्यक्तिगत सुखों की कामना करते हैं। जिन कन्याओं को हम देवी की तरह पूजते हैं, उनकी सुरक्षा की प्रार्थना / कामना करनी चाहिए। लोक कल्याण, समाज और देश कल्याण की प्रार्थना करनी चाहिए। देवी से रूप और यश की कामना के साथ सद्बुद्धि की कामना भी करें।

🌺🌹🙏 जय माता दी 🙏🌹🌺




Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top