मां दुर्गा को शक्ति का स्वरुप माना जाता है। माता के अनेकों अवतार हैं। वह भक्तों की रक्षा के लिए तथा ऋषि-मुनियों को अभय दान देने के लिए सदैव तत्पर रहती हैं। माँ समय-समय पर बुराइयों का नाश करने के लिए अवतरित होती रहती हैं। नवरात्रि के समय माता की पूजा का महत्व और बढ़ जाता है। दुर्गा माता का स्मरण करने से भक्त अपना कल्याण कर लेता है।
नवरात्र का अध्यात्मिक महत्व (Navratri ka aadhyatmik Mahatv)
जग में जब-जब तामसी, आसुरी एवं क्रूर लोग प्रबल होकर, सात्विक, उदारात्मक एवं धर्मनिष्ठ सज्जनों को छलते हैं, तब देवी धर्मसंस्थापना हेतु पुनः अवतार धारण करती हैं। उनके निमित्त यह व्रत किया जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा की कृपा अन्य दिनों की तुलना में 1000 गुना अधिक बढ़ जाती है। देवीतत्त्व का अत्यधिक लाभ लेने के लिए नवरात्रि की कालावधि में "ॐ श्री दुर्गा देव्यै नमः" मंत्र का जप अधिक से अधिक करना चाहिए।
नवरात्रि के नौ दिनों का महत्व (Navratri ke Nav dinon ka mahatv)
अश्विन माह में पड़ने वाली शारदीय नवरात्रि का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें मां दुर्गा की प्रतिमाएं विराजित की जाती है। साथ ही कई स्थानों पर गरबा और रामलीलाओं का आयोजन भी किया जाता है। इस नौ दिन के महापर्व के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा भी की जाती है।अखंड ज्योति जलाई जाती है। हर स्वरूप की अलग महिमा होती है। आदिशक्ति जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है. नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत भी रखा जाता है और पूरे नियमों के साथ मां दुर्गा की आराधना की जाती है।
माँ दुर्गा का वाहन (Maa durga ka wahan)
यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है, लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग- अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं, यानी माता सिंह के बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं। माता दुर्गा आती भी वाहन से हैं और जाती भी वाहन से हैं। नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है। ठीक इसी प्रकार कलश स्थापना के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है।
देवीभागवत पुराण में जिक्र किया गया है कि....
शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता।।
इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है।
- अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी।
- शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं।
- गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं।
- बुधवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं।
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