नवरात्रि का त्यौहार
मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक वर्ष आश्विन मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है। पूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति जगदम्बा का पूजन किया जाता है और बडी धूम-धाम से मनाया जाता है यह नवरात्रि का त्यौहार। असुरों के नाश का पर्व है नवरात्रि।
माँ की आराधना का ये पर्व हैं
माँ के नौ रूपों की भक्ति का पर्व हैं
बिगड़े काम बनाने का पर्व हैं
भक्ति का दिया दिल में जलाने का पर्व हैं
आप सभी भक्तों को नवरात्रि के इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं व हार्दिक बधाई 🙏
🙏🌺जय माता दी🌺🙏
शारदीय नवरात्रि कब शुरू होगी ?
हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है. मां दुर्गा की उपासना का पर्व साल में चार बार आता है। जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदीय नवरात्रि होती हैं। शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। इस वर्ष नवरात्रि का प्रारंभ रविवार 15 अक्टूबर 2023 से होगी और 23 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि समापन होगा और 24 अक्टूबर को विजयादशमी व दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।
क्या आप जानते हैं कि क्यों मनाया जाता है नवरात्रि का त्यौहार? इसकी मान्यता क्या है?
सदियों से हम नवरात्रि का त्यौहार मनाते आ रहे हैं, पूजा-पाठ करते है और व्रत भी रखते आ रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से इस त्यौहार को मनाया जाता है। कहीं कुछ लोग पूरी रात गरबा और आरती कर नवरात्र के व्रत रखते हैं तो वहीं कुछ लोग व्रत और उपवास रख मां दुर्गा और उसके नौ रूपों की पूजा करते हैं। नवरात्रि के त्यौहार से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है।
पौराणिक कथा
महिषासुर नाम का एक बड़ा ही शक्तिशाली राक्षस था। वो अमर होना चाहता था और उसी इच्छा के चलते उसने ब्रह्मा की कठोर तपस्या की। ब्रह्माजी उसकी तपस्या से खुश हुए और उसे दर्शन देकर कहा कि उसे जो भी वर चाहिए वो मांग सकता है। महिषासुर ने अपने लिए अमर होने का वरदान मांगा। महिषासुर की ऐसी बात सुनकर ब्रह्मा जी बोले, 'जो इस संसार में पैदा हुआ है उसकी मौत निश्चित है। इसलिए जीवन और मृत्यु को छोड़कर जो चाहो मांग लोग।' ऐसा सुनकर महिषासुर ने कहा, 'ठीक है प्रभु! फिर मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि मेरी मृत्यु ना तो किसी देवता कै हाथों हो और न असुर के हाथों और ना ही किसी मानव के हाथों हो अगर हो तो किसी स्त्री के हाथों हो ।'
महिषासुर की ऐसी बात सुनकर ब्रह्माजी ने तथास्तु कहा और चले गए। इसके बाद महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया। देवता घबरा गए। उन्होंने एकजुट होकर महिषासुर का सामना किया जिसमें भगवान शिव और विष्णु ने भी उनका साथ दिया, लेकिन महिषासुर के हाथों सभी को पराजय का सामना करना पड़ा और देवलोक पर महिषासुर का राज हो गया। महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की।
उन सभी के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने एक बेहद खूबसूरत अप्सरा के रूप में देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया। देवी दुर्गा को देख महिषासुर उन पर मोहित हो गया और उनसे शादी करने का प्रस्ताव सामने रखा। बार बार वो यही कोशिश करता। देवी दुर्गा मान गईं लेकिन एक शर्त पर.. उन्होंने कहा कि महिषासुर को उनसे लड़ाई में जीतना होगा। महिषासुर मान गया और फिर लड़ाई शुरू हो गई जो 9 दिनों तक चली। दसवें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर दिया और तभी से ये नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
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विजयादशमी व दशहरा :-
देवी दुर्गा ने जब अपने 9 रूप प्रकट किए तो उन्होंने आश्विन माह की प्रतिपदा के दिन महिषासुर पर आक्रमण कर दिया और महिषासुर के साथ माता का 9 दिनों तक युद्ध चला। दसवें दिन माता ने उसका वध कर दिया। इसी की खुशी में दसवें दिन विजयादशमी मनाई जाती है। इसी दिन राम ने रावण का वध किया था इसीलिए दशहरा भी मनाते हैं।
विजयादशमी का पर्व माता कात्यायिनी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध करने के कारण मनाया जाता है जो कि श्रीराम के काल के पूर्व से ही प्रचलन में रहा है। इस दिन अस्त्र-शस्त्र और वाहन की पूजा भी की जाती है।